right to write
Wednesday, February 3, 2010
ये वक्त....
सदियों से इंतेझार करता आया है ये वक्त..
सोचता है कि शायद उसको भी
सहारा मिल जाये...
जिसके कंधे पर
वह भी सिर रख पाये..
वक्त भी बेचारा वक्त का मारा..
सदियों से भटकता आया है...
जाने किसकी तलाश में
आगे ही आगे
चला जा रहा है..
ये वक्त..
ShiD.
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment